मध्यकालीन भारत में संस्कृत साहित्य

          मध्यकालीन भारत में संस्कृत साहित्य

         इस काल में संस्कृत साहित्य के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का पर्याप्त विकास हुआ। संस्कृत के भाषागत परिष्कार तथा उच्च कोटि की रचनाओं के कारण यह केवल पंडित वर्ग तक ही न्यूनाधिक मात्रा में सीमित होते चले गई, साथ ही अधिकांश संस्कृत रचनाओं में रुढ़ परिपाटी के कारण मौलिकता का अभाव है। राजाश्रय प्राप्त होने के अतिरिक्त इस काल के भोज, यशपाल, सोमेश्वर,कुलशेखर, रविवर्मन, विग्रहराज, बल्लाल सेन, श्रीहर्ष, ( नैषधचरित महाकाव्य) आदि अनेक राजा-महाराजाओं ने महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की।

मध्यकालीन भारत में संस्कृत साहित्य

 

   इस काल में महाकाव्य, ललित काव्य, नाटक, उपदेशात्मक कथाएं, शब्दकोश संबंधी रचना,व्याकरण, काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र, छंद शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, धर्मशास्त्र, स्मृति, स्मृतियों पर भाष्य, पुराण,  इतिहासपरक साहित्य आदि अनेक विधाओं में विषयगत विविधता को लेकर रचनाएं हुई हैं। यहां पर उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है---

कप्पहरणअभ्युदय- इस ग्रन्थ की रचना बौद्ध कवि शिवस्वामिन् ने की।

जिनसेन कृत पार्शअभ्युदय- इस ग्रन्थ की रचना जैन जिनसेन ने की।

कनकसेन कृत यशोधराचरित- इस ग्रंथ की रचना कनकसेन ने की।

रामचरित-इस ग्रंथ की रचना अभिनंदन है की।

वासुदेव कृत युधिष्ठर विजय , त्रिपुरदहन - दोनों ग्रंथों की रचना वासुदेव ने की।

क्षेमेंद्र कृत भारत मंजरी, रामायण मंजरी - इन दोनों ग्रंथों  की रचना कश्मीर के कवि क्षेमेंद्र ने की।

   इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस काल में रचित काव्य रचनाओं की कथाओं के आधार रामायण, महाभारत तथा पौराणिक आख्यान हैं।

🔴 धनंजय, श्रुतकीर्ति ने राघव-पांडवीय या द्विसंधान लिखकर एक और नवीनता प्रस्तुत की है। इस में बाएं से दाएं पढ़ने पर राम की तथा दाएं से बाएं पड़ने पर कौरवों की कथा वर्णित है।

🔴 सन्याकार नंदी के रामचरित में राम तथा बंगाल के शासक रामपाल का श्लेश के आधार पर एक ही साथ वर्णन किया गया है।

🔴 दसवीं सती  में चंपू  ( गद्य-पद्य मिश्रित रचना ) नामक नई शैली का प्रादुर्भाव हुआ, जिसमें गद्य तथा पद्य दोनों का प्रयोग होता है।

🔴  नलचंपू अथवा दमयंती कथा, मदालसा चंपू -  की रचना त्रिविक्रम भट्ट ने की। ये ग्रन्थ चंपू शैली में रचित हैं।

🔴 यशस्तिलक चंपू- सोमदेव द्वारा रचित।

गीत गोविंद- इस ललित काव्य की रचना जयदेव ने की। कृष्ण तथा राधा के प्रणय को मौलिकता तथा सरसता से प्रस्तुत करने के कारण विद्वानों ने इसे भावप्रधान नाटक भी कहा है।

विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस- इस नाट्य ग्रन्थ की रचना विशाखदत्त ने की।

रामचंद्र कृत नाट्य दर्पण- यह रामचन्द्र तथा गणचन्द्र द्वारा राचित शास्त्रीय ग्रन्थ।

मुरारी कृत अनर्घ राघव - यह मुरारी द्वारा रचित स़शक्त भाषा का ग्रन्थ।

प्रीतिभा चाणक्य- भीम या भीमट द्वारा रचित नाटक। यह मुद्राराक्षस के कथानक पर आधारित है।

हस्तिमल्ल कृत विक्रांतकौरव तथा सुभद्राहरण- जैन विद्वान हस्तिमल्ल द्वारा रचित।

कवि राजशेखर रचित बाल रामायण, बाल भजन - प्रसिद्ध कवि राजशेखर द्वारा रचित।

🔴 दामोदर गुप्त कृत 'कुट्टनीमतम्' - यह दामोदर गुप्त रचित इस ग्रन्थ में गणिकाओं के लिए उपदेश हैं।

🔴 मल्लट शतक, नीति-वाक्यामृत- मल्लट रचित ।

इसके अतिरिक्त इस काल में अनेक शब्दकोशों की भी रचनाएं की गई---------

अभिधान रत्नमाला- हलायुध द्वारा रचित।

धातु-प्रदीप- मैत्रेयरक्षित द्वारा रचित।

शब्दानुशासन- शकटायन द्वारा रचित।

वैजयंति- यादवप्रकाश द्वारा रचित।

धातुवृत्ति-  क्षीर-स्वामिन रचित।

पदमंजरी- हरदत्त द्वारा रचित।

   मध्यकालीन भारत काव्यशास्त्र के क्षेत्र में  बड़ा ही समृद्ध रहा है----

🔴 काव्यालंकार संग्रह- उद्भट्ट रचित।

🔴 काव्यालंकार सूत्र-  वामन रचित।

🔴 काव्यालंकार- रूद्रट रचित।

🔴 ध्वन्यालोक-  आनंदवर्धन कृत।

🔴 काव्यमीमांसा-  राजशेखर कृत।

🔴 काव्यप्रकाश-  आचार्य मम्मट कृत।

🔴 सरस्वतीकंठाभरण- भोज कृत।

🔴 दशरूपक- धनंजय कृत नाटक।

🔴 रत्नकोश- सागरनंदिन कृत नाटक।

🔴 नाट्यदर्पण- रामचन्द्र कृत।

मध्यकालीन भारत में संस्कृत भाषा में चिकित्साशास्त्र पर भी अनेक ग्रन्थ लिखे गए।

रोगविनिश्चय-  माधवकर कृत।

निघंटु- ध्यवन्तरि कृत।

रस-रत्नाकर- नागार्जुन कृत।

चिकित्साशास्त्र-  चक्रपाणिदत्त कृत।

लौहपद्धति- सुरेश्वर कृत।

भोज कृत शालिहान्न-  यह भोज कृत ग्रन्थ है जिसमें (घोड़े की बीमारियों की चिकित्सा)

 इसके अतिरिक्त मध्यकालीन संस्कृत साहित्य में गणित तथा ज्योतिष पर गणितसार, ब्रहन्मानस, आर्यसिद्धांत, कर्णतिलक, त्रिशंति, सिद्धांत शिरोमणि, राजमृगांक आदि ग्रंथों की रचना हुई।

🔴 संगीतमकरानंद- नारद कृत।

🔴 संगीतचूड़ामणि-  जगदेकमल्ल कृत।

🔴 मानसोल्लास-  सोमेश्वर कृत।

🔴 संगीतरत्नाकर- शार्ङ देव कृत।

लहव-अर्हन्नीति- हेमचन्द्र कृत ( धर्म, युद्ध, दंड,तथा प्रायश्चित पर आधारित)

शुक्रनीतिसार, नीतिरत्नाकर- चंडेश्वर कृत।

हर्षचरित- वाणभटट कृत।

नवसाहसांक चरित- पद्मगुप्त कृत।

विक्रमांकदेवचरित- बिल्हण कृत।

राजतरंगिणी- कल्हण कृत।

कुमारपालचरित- क्षेमेंद्र कृत।

पृथ्वीराजरासो- चंदबरदाई कृत।

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